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केले के स्टेम से बिजली की उत्पत्ति..…गोपाल का अविष्कार… ग्रामिणों के लिए वरदान


Thane:

भागलपुर | बिहार समेत देश के कई भागों में बिजली की समस्याएं है। हालात में अभी भी बहुत सुधार नहीं हो पाया है। इस बीच बिहार के भागलपुर जिले स्थित नौगाचिया ब्लॉक से अच्छी खबर सामने आई। यहां के एक युवक गोपाल ने केले के स्टेम से ऊर्जा उत्पन्न करने में सफलता हासिल की है। इससे यहां के लोगो में काफी खुशी है। उनके घरों में अंधेरा नहीं बल्कि रोशनी है। गोपाल ने अपने रिसर्च के दम पर क्रांतिकारी सफलता हासिल की है। उन्होंने केले के स्टेम से बिजली उत्पन्न कर सबको आश्चर्यचकित कर दिया। गोपाल की सफलता से ग्रामीणों में खुशी है।

नवाचिया स्थित ध्रुव गांव के युवक गोपाल ने अपनी सफलता पर कहा कि शुरूआत में उन्होंने तीन वोल्ट बिजली का उत्पादन किया जिससे तीन घंटे तक एलईडी का वल्ब जलाया जा सकता है। और अधिक केले स्टेम का प्रयोग करने पर 12 वोल्ट तक बिजली पैदा की जा सकी।

 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार गोपाल ने दावा किया है कि केले के स्टेम में पाए जाने वाले साइट्रिक एसिड से ऊर्जा की खोज की और इससे बिजली बनाकर घरों में बल्ब जलाये जा सकते हैं।

–    गोपाल ने केले के स्टेम में पाये जाने वाले साइट्रिक एसिड से बिजली बनाने में सफलता हासिल की।

–    केले स्टेम से बिजली बनाने के लिये दो इलेक्ट्रोड एक जस्ता और एक तांबा का उपयोग किया गया।

–    शुरू में तीन वोल्ट बिजली का उत्पादन किया, जो तीन घंटे तक एक एलईडी बल्ब को प्रकाश देने के लिए पर्याप्त था।

–    अधिक केले के स्टेम उपयोग करने से 12 वोल्ट का बिजली उत्पन्न हो सकता है। इससे दो एलईडी बल्बों का इस्तेमाल संभव है।

–    केले स्टेम से बिजली बनाना एक इन्वर्टर की तरह है। स्टेम में जैव ऊर्जा इलेक्ट्रोड का उपयोग करने से विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है।

–    यह बायो सेल तबतक काम करता है जबतक केले के तने में प्राकृतिक एसिड होता है।

केले स्टेम से बिजली उत्पन्न की खोज वैज्ञानिक जिज्ञासा से हुई। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार केले से निकलने वाले लिक्विड पदार्थ के बारे में उन्होंने अपने पिता प्रेम रंजन, केले के जानकार और एक व्यापारी से पूछा। इस पर उन्हें बताया गया कि स्टेम में कुछ प्रकार के प्राकृतिक एसिड होते हैं इसलिये कपड़े में लगे इसके दाग को हटाना संभव नहीं। इसके बाद अगले दो सालों तक इस पर लगातार किताबें पढीं। स्कूल लाइब्रेरी की मदद ली। एसिड के गुणों को समझने के लिये शिक्षकों की मदद ली फिर जाकर केले से बिजली बनाने में सफलता मिली।

 

हमलोग अभी तक पारंपरिक तरीके से ही केले का इस्तेमाल करते रहे। चाहे फल के रूप में हो या पूजा-पाठ के लिये। कच्चे केले और फूल का इस्तेमाल सब्जी के रूप में होता आ रहा है। यहां तक कि केले के पत्ते का उपयोग पूजा के साथ साथ भोजन करने के लिये भी इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन अब केले का बड़ा हिस्सा स्टेम का प्रयोग बिजली के रूप में किया जाने लगा है। यह एक बड़ी सफलता है। हालांकि अभी इसका व्यवसायिक उपयोग नहीं शुरू हो सका है लेकिन जिन घरों में अंधेरा है वहां के लिये बहुत ही लाभकारी व वरदान साबित होगा गोपाल की नई खोज।

 

गोपाल की सफलता से ग्रामिणों मे खुशी है। उनका कहना है कि 12 से 14 घंटे तक बिजली नहीं रहती है। ऐसे में गोपाल की तकनीक हम लोगो के लिये वरदान है। इस तकनीक से बिजली आसानी और सस्ती मिल जाती है। केले की उपज के अलावा सिर्फ दो इलेक्ट्रोड और पांच मीटर तार की जरूरत होती है। दो इलेक्ट्रोड की कीमत 200 रूपये से भी कम है।

 

बहरहाल, यह पद्धति नौगाचिया के लिये वरदान साबित होने जा रहा है। क्योंकि इस इलाके में लगभग 37 हजार एकड़ में केले की खेती होती है। गोपाल अपने गांव वालों को भी सिखा रहा है कि बायोसेल कैसे बनाते हैं। इससे यहां के छात्रों में भी खुशी है। उनका कहना है कि यह हमारे लिये वरदान है।

Krishibhoomi