दिल्ली | जहा एक तरफ मोदी जी के चार साल के शासन की राजनितिक समीक्षा हो रही है तो वही दूसरी तरफ ये भी सच है कि 2018 की शुरुआत से ही रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रहा है। पिछले एक हफ्ते में रुपया 14 महीने के निचले स्तर पर पहुंच चुका है। खबरों की मानें तो रुपए का मूल्य अभी और गिर सकता है। एक्सपर्ट्स की मानें तो रुपया 68 प्रति डॉलर के पार जा सकता है। ऐसे में साफ संकेत हैं कि रुपए की कमजोरी से सरकार के साथ-साथ आम आदमी की जेब पर भी असर पड़ेगा। आइए जानें रुपए में गिरावट से आप पर क्या होगा असर?
बढ़ सकती है महंगाई
भारत अपनी जरूरत का करीब 80 फीसदी पैट्रोलियम प्रोडक्ट आयात करता है। रुपए में गिरावट से पैट्रोलियम प्रोडक्ट्स का आयात महंगा हो जाएगा। तेल कंपनियां पैट्रोल-डीजल की घरेलू कीमतों में बढ़ोत्तरी कर सकती हैं। डीजल के दाम बढ़ने से माल ढुलाई बढ़ जाएगी, जिसके चलते महंगाई में तेजी आ सकती है। इसके अलावा, भारत बड़े पैमाने पर खाद्य तेलों और दालों का भी आयात करता है। रुपए के कमजोर होने से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों और दालों की कीमतें बढ़ सकती हैं।
महंगा होगा पैट्रोल-डीजल
एक अनुमान के मुताबिक डॉलर के मूल्य में एक रुपए की बढ़ोतरी से तेल कंपनियों पर 8,000 करोड़ रुपए का बोझ बढ़ जाता है। इससे उन्हें पैट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ता है। पैट्रोलियम उत्पाद की कीमतों में 10 फीसदी बढ़ोतरी से महंगाई करीब 0.8 फीसदी बढ़ जाती है। इसका सीधा असर आपने खाने-पीने और परिवहन लागत पर पड़ता है।
दवाओं के दाम पर असर
देश में कई जरूरी दवाएं बाहर से आती हैं। डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट की वजह से दवाओं के आयात के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है, जिससे वह महंगी हो जाती हैं। घरेलू बाजार में पहले ही दवाओं की कालाबाजारी की वजह से महंगी दवाएं मिलती हैं। ऐसे में रुपए की कमजोरी से दोहरी मार पड़ सकती है।
रुपया गिरने से इनको फायदा
रुपए में कमजोरी से जहां इतनी चीजें महंगी हो जाती हैं। वहीं, कुछ सेक्टर्स ऐसे हैं जिन्हें इससे फायदा मिलता है। सबसे पहले तो देश के एक्सपोर्ट्स को इसका फायदा होता है। वहीं, आईटी, फार्मा, टेक्सटाइल, डायमंड, जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर को इसका फायदा मिलता है। देश से निर्यात होने वाले उत्पाद जैसे चाय, कॉफी, चावल, गेहूं, कपास, चीनी और मसाले से जुड़ी कंपनियो या एक्सपोर्ट्स को फायदा मिलता है। कृषि और इससे जुड़ उत्पाद के निर्यातकों को रुपए में गिरावट का लाभ होता है।